निर्भया के मां-बाप बोले, अदालत है, पुलिस है, सबूत है और आरोपी हैं, फिर भी हमारे हिस्से आता है इंतजार
16 दिसंबर 2012 को राष्ट्रीय राजधानी की वह काली रात देश को आज भी याद है। सभ्य समाज के तमाम लोगों को जब उस घटना की याद आती है, तो उनका विचलित होना लाजमी है। भले ही किसी के घर में बेटी हो या न हो, मगर उस वक्त देश के हर परिवार ने निर्भया की असहनीय पीढ़ा साझा की थी। गैंगरेप के बाद रौंगटे खड़े करने वाली मौत का दर्द झेलते हुए हमारी बेटी दुनिया से चली जाती है। पीछे छूटते हैं तो केवल उस भयावह रात के काले सपने और बाद में न्याय के लिए लंबी होती लड़ाई।
सात वर्ष तो बीत गए हैं, मगर अभी तक निर्भया को न्याय नहीं मिल सका है। क्या यह जमीन जायदाद का केस था, जिसके लिए साल दर साल अदालतों में आवाज लगती रहे। अदालत है, पुलिस है, सबूत है और आरोपी हैं, फिर भी हमारे हिस्से इंतजार आता है।
न्याय में अनावश्यक देरी
निर्भया के मां-बाप ने आगे कहा, तेलंगाना में जो कुछ हुआ है, वह गलत नहीं है। ये ऐसी घटनाओं पर लोगों के गुस्से की त्वरित प्रतिक्रिया है। हमारी बेटी की मौत के आरोपी अभी तक अपने अंजाम तक नहीं पहुंच सके हैं। इससे न्यायिक प्रक्रिया की धीमी रफ्तार का अंदाजा लगा सकते हैं। आरोपी सामने हैं और अपराध भी साबित हो गया, फिर भी वे आज तक फांसी पर नहीं चढ़ सके। इसे आप क्या कहेंगे, क्या ये न्याय में अनावश्यक देरी नही हैं। तेलंगाना की महिला डॉक्टर भी हमारी निर्भया जैसी थी। उसके आरोपियों को सजा मिल गई है। कुछ लोग हमारी सोच से इत्तेफाक नहीं रखेंगे, हम जानते हैं। निर्भया की मां ने कहा, हम एक सभ्य समाज में रहते हैं।
सभ्य समाज की परिभाषा क्या है?
सब यही तो उम्मीद करते हैं कि बहन बेटी बाहर गई है, तो शाम तक सुरक्षित घर लौट आएगी। ध्यान रहे कि हम यहां सभ्य समाज पर भरोसे की बात कर रहे हैं। अचानक खबर आती है कि आपकी बेटी तो दरिंदों का शिकार हो गई। तब दिमाग में सभ्य समाज की बात आती है कि अरे ये कैसे हो सकता है। सभ्य समाज की परिभाषा क्या है। आपकी किसी से कहासुनी नहीं है, इसके बावजूद आपकी बेटी को ऐसी दर्दनाक मौत मिलती है। निर्भया के पिता बोले, हम जानते हैं कि बहुत से लोग हमारी आलोचना भी करें कि हम तेलंगाना एनकाउंटर को ठीक क्यों बता रहे हैं। ये हम नहीं बोल रहे, बेटी का दर्द बोल रहा है। वह दर्द जो किसी दूसरे ने नहीं झेला है, उसे केवल निर्भया ने झेला था।
देश का कानून मजबूत है, कठोर है या लचीला है, आप जानें। एक मां बाप को तो अपनी बेटी का दर्द सहना है और उसके आरोपियों को जल्द से जल्द से मौत की राह पर पहुंचाना है। देरी क्यों हो रही है, इस बाबत निर्भया के मां बाप बोले, हम पहले ही इस मामले में बहुत बोल चुके हैं। हजारों बाइट दे चुके हैं कि न्याय में देरी क्यों हो रही है।